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महारानी के जीत के मायने……

लगे तो लगे
लगे तो लगे
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टिहरी लोकसभा उपचुनाव में महारानी ने साकेत बहुगुणा पर जीत दर्ज कर ली है जो भाजपा के लिए संजीवनी के तरह काम करेगी। महारानी की इस जीत के कई मायने है…..महारानी के इस जीत से भाजपा के कार्यकर्ताओं में एक उम्मीद की किरण दिखी है और यह साबित होता दिख रहा है कि भाजपा ने महंगाई और घोटालों के खिलाफ जो जंग छेड़ी थी…..वह इस जीत के साथ सफल साबित होती दिख रही है। चारों और महंगाई और घोटालों से घिरी कांग्रेस के लिए यह खतरे की घंटी साबित हो सकती है।
टिहरी लोकसभा उपचुनाव में जिस तरह से महारानी माला राज्ये लक्ष्मी शाह को जीत हासिल हुई है…. उसका असर पड़ोसी राज्य हिमाचल की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है। वहीं उत्तराखंड की बात करें तो कांग्रेस सहित मुख्यमंत्री बहुगुणा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है जिस तरह से मुख्यमंत्री बहुगुणा ने आला कमान से अपने बेटे के लिए लोकसभा उपचुनाव के लिए टिकट मांगा था….. इस हार को देखकर तो यही लगता है कि हार की गाज कही मुख्यमंत्री बहुगुणा पर भी ना गिर जाए। हो सकता है कि आलाकमान उनसे सवाल भी पूछे की आखिर चूक कहा हुई तो यह भी हो सकता है उनके पास रटारटाया जवाब हो कि प्रदेश कांग्रेस में अंदरुनी कलह साकेत पर भारी पड़ी लेकिन इतने से काम नहीं चलने वाला….. क्योंकि अब तक जो कांग्रेस बहुगुणा के खिलाफ पार्टी में रहकर भीतर ही भीतर आवाज उठाते रहे है अब वो इस हार के बाद खुलकर सामने आयेंगे। ये भी हो सकता है कि मुख्यमंत्री बहुगुणा को अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ सकती है।
जिस तरह से उपचुनाव के लिए नामांकन भरा गया था और प्रचार किया जा रहा था, उसे देखकर तो यही लग रहा था कि विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा पिता बहुगुणा की ही तरह सितारगंज जैसी रिकार्डतोड़ जीत हासिल करेंगे लेकिन महारानी ने उन्हें हरा इतिहास रच दिया है। महारानी के इस जीत से भाजपा फूले नहीं समा रही और अब वो कांग्रेस पर और अधिक हमलावर होगी। हालांकि इस जीत का श्रेय अन्ना और रामदेव को भी जाना चाहिए जिन्होंने पूरे देश की जनता को कांग्रेस के बारे में बताया…… कि आखिर कांग्रेस कर क्या रही है…. और जनता तो जर्नादन है… अब लगता है कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिल सकता है। नजारा भले मिले भी क्यों ना…. कांग्रेस ने अपने हिटलरशाही रवैये से साबित कर दिया है कि कांग्रेस से जो भी हिसाब मांगेगा उसे मुंह की खानी पड़ेगी….. ताजा उदाहरण अरविंद केजरीवाल बनाम सलमान खुर्शीद का मामला है। केजरीवाल ने खुर्शीद की पत्नी के एनजीओ से हिसाब क्या मांगा उन्हें जेल में डाल दिया गया…. जब शनिवार की सुबह अरविंद के सहयोगी कुमार विश्वास जेल में उनसे मिलने पहुंचते है तो पुलिस वाले कहते है कि उपर से आदेश है कि उन्हें नहीं मिलने दिया जाएगा…. आखिर कोई समझाए कि ये उपर क्या होता है…….. खैर ट्रेन पटरी से उतर रही है…… लेकिन यह बात भी जरुरी थी कि इन बातों पर भी गौर किया जाए….. फिलहाल कांग्रेस साकेत के हारने का गम मना रही है तो वहीं भाजपा अपने इस टिहरी उपचुनाव की जीत को अगले लोकसभा आम चुनाव से जोड़कर देख रही है और महारानी की जीत ने भाजपा में जोश भर दिया है।

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