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अगर कोई नेता या फिर उसका रिश्तेदार-नातेदार कोई गबन यानी घोटाला करता है और मामला मीडिया के सामने आ जाता है तो फिर जाहिर है कि उसे बचाने के लिए उसके ‘बाप’ की पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ती आखिर उसे जनता ने पांच साल के लिए खुली छुट जो दे रखी है…..वो पांच साल तक चाहे जो भी करे कोई आम जनता उससे सवाल तक नहीं पूछ सकता अगर पूछेगा भी तो उसे नाली का कीड़ा जैसा शब्द इस्तेमाल किया जायेगा हो सकता है उसे नाॅनसेंस भी कहा जाए…….ताजा मामला भी यही साबित करता है….. फिलहाल जैसा अंदाजा लगाया जा रहा था वहीं हुआ….. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दमाद रार्बट वाड्रा और डीएलफ के बीच कथित भूमि घोटाले में जांच के आदेश देने वाले साल 1991 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका नप गए है। खेमका हरियाणा में भूमि सुदृढ़ीकरण एवं भूमि रिकार्ड महानिदेशक सह पंजीकरण महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे और उन्होंने इस मामले पर जांच के आदेश दिए थे। उनका प्रदेश सरकार ने मंगलवार को तबादला कर दिया है। खेमका को अब हरियाणा के बीज विकास विभाग का एमडी बना दिया गया है। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर सवाल उठना लाजमी है कि आखिर खेमका का तबादला किस नीति के अंर्तगत किया गया….. ऐसे ऐसे एक के बाद एक कारनामों के कारण कांग्रेस की साख गिरती जा रही है…. आखिर आम जनता कोई पागल है तो है नहीं कि उसे कुछ समझ में नहीं आता….. जब देश की राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का दामाद किसी ऐसे मामले में फंसा है जहां से उसे साफ यानी की दागदार होकर निकलना चाहिए था…… लेकिन ये क्या किया कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने…… एक ऐसे अधिकारी का तबादला ऐसे समय में करा दिया जब कांग्रेस को निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए थी…. ऐसे में जो काम हरियाणा की सरकार ने किया है उससे आम जनता के मन में कांग्रेस के खिलाफ और बारुद भर गया है…… मेरे हिसाब से खेमका का सिर्फ इतना दोष था कि उन्होंने जांच के आदेश दिए थे…….. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर देश में जो घोटाले हुए है या फिर हो रहे है इनका जांच का स्तर क्या होगा……. इससे पहले की बात की जाए तो पता चलता है कि इसी तरह महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले के वक्त खबर थी कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को इस घोटाले के बारे में सबकुछ पता था लेकिन उन्होंने मामला इस कारण नहीं उठाया कि शरद पंवार उनका चार काम करते थे और शरद के उन्हीं चार कामों की वजह से मामले को जनता के सामने जानकर भी नहीं लाना चाहते थे…..ऐसे में जनता को नेताओं के इन कारनामों से सोचना पड़ता है कि आखिर किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं…… अब जब हरियाणा सरकार ने जांच के आदेश देने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी खेमका का तबादला कर दिया है तो ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि उत्तर प्रदेश की सरकार खुर्शीद के ट्रस्ट के खिलाफ लगे आरोपों की किस तरह जांच करवाएगी????? शायद आम जनता के मन में इस खबर के बाद छवि भी साफ हो गई होगी कि जांच का स्तर क्या होगा और जांच की रिपोर्ट क्या होगी?????? आखिर देश के इन नेताओं को क्या हो गया है क्या जनता को ऐसे दिन देखने के लिए शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों ने अपने जान की आहुति दी थी?????
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