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आखिर ये यूटर्न क्यों….

लगे तो लगे
लगे तो लगे
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कांग्रेस की ओर से काफी समय से कहा जा रहा था यानी कि कांग्रेस के तमाम आला नेता यह कहते फिर रहे थे कि साल 2014 का लोस चुनाव राहुल गांधी vs नरेंद्र मोदी होगा….. एक ओर जहां पहले मोदी के नाम से एनडीए में एकजुटता नहीं दिख रही थी और राहुल के साथ उनकी पार्टी के तमाम नेता खड़े दिख रहे थे….वहीं अब राहुल की जगह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ले ली है और उधर भाजपा में मोदी के समर्थन में रोज नेता जुबान खोलते दिख रहे हैं…. लेकिन दोनों ही पार्टियों में खास बात यह कि दोनों ही पार्टियों ने न तो चिदंबरम के और न ही मोदी के नाम पर मुहर लगाई है…… इस बार का लोस चुनाव काफी महत्वपूर्ण और लोकप्रिय माना जा रहा है…ऐसा इसलिए कि लंदन की एक इकोनॉमिस्ट ने राजनीति आंकलन में यह बात कही है….. पत्रिका ने लिखा है कि निश्चित ही अगर यूपीए 2014 में आर्थिक मुद्दों को आधार बनाकर चुनाव लड़ती है तो उसके संभावित उम्‍मीदवार पी चिदंबरम ही होंगे। पत्रिका ने इसके पीछे तर्क दिया है कि ………..चिदंबरम को आर्थिक नीतियों की अच्‍छी जानकरी है। साथ ही वे सोनिया गांधी के विश्‍वास पात्र भी हैं। पत्रिका के मुताबिक देश में हाल ही में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जंग और प्रणब मुखर्जी के राष्‍ट्रपति बनने से चिदंबरम का कद ऊंचा हुआ है….. प्रणब के बाद अब चिदंबरम ही संकटमोचक के रूप में पार्टी में हैं। लिहाजा उनके पीएम पद के उम्‍मीदवार के रूप में आगे आने की प्रबल संभावना है। साथ ही राहुल के बारे में पत्रिका ने लिखा है कि वो एक कंफ्यूज्ड नेता हैं…..लिहाज उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे करना गलत फैसला होगा…..

उधर ताजा खबरों की ताकझांक करने से इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि एनडीए की ओर से मोदी ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे….. क्योंकि एनडीए के कई नेता मोदी के नाम की पैरवी कर चुके हैं और कर रहे हैं….साथ ही अभी तक न तो विहिप की ओर से कोई हो हल्ला हुआ है और न ही जदयू की ओर से…….. फिलहाल दोनों ही पार्टियों में उम्मीदवारों के नाम पर यूटर्न किस कारण लिया है यह समझ से परे है…..हो सकता है कि आने वाले दिन में कोई और भी उम्मीवार के नाम से हम और आप परिचित हो सकते हैं……..

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