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कोई मुलायम से पूछे…..

लगे तो लगे
लगे तो लगे
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साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ताज की खूबसूरती बढ़ाने के नाम पर 175 करोड़ रुपए की परियोजनाएं लॉन्‍च कर दी….. आरोप लगा कि पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिले बगैर ही सरकारी खज़ाने से 17 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए….. 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पड़ताल करने के आदेश दिए।  2007 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी। सीबीआई की चार्जशीट में मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन जैसे ही मायावती सत्ता में वापस आईं, तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने इस केस में मुकदमा चलाने की इजाजत देने से मना कर दिया और सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही ठप्प हो गई|

यहां तक तो सब लगभग ठीक ही है..लेकिन किसी ने प्रदेश में वर्तमान सपा सरकार से यह पूछने की जहमत क्यों नहीं उठाई कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में विवि, स्कूल और अस्पताल तो ठीक लेकिन हवाई पट्टी की क्या जरुरत थी क्या उसे बनाने में पैसे खर्च नहीं हुए होंगे…अगर मायवती ने ताज की सुंदरता को बढ़ाने के लिए 175 करोड़ की योजना खर्च कर ही दी तो इसमें क्या बुरा है…आखिर ताज दुनिया के सात अजुबों में शामिल भी तो है..खैर मनाईये या फिर आगरा के स्थानीय लोगों से जाकर पूछिए कि क्या उनकी रोजी-रोटी ताज से नहीं चलती..एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग आधे आगरा के लोगों का जीवनयापन आगरा के इस ताज के ही भरोसे चलता है…. और तो और जानकारी के मुताबिक, पिछले साल ताज के दिदार के लिए आये लोगों से टिकट के रुप में 70 करोड़ की कमाई की गई है….तो क्या इससे राजस्व नहीं बढ़ेगा..यह पैसा सरकार के खजाने में नहीं जाएगा… ये तो बुजुर्गों ने भी कहा है कि जिससे आपकी रोजी-रोटी चलती हो…उसके रखरखाव का जिम्मा भी उसी का होता है….

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